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खाहिश नहीं रही कभी मुझे कि तुझ संग ताज जाऊं अरमां

खाहिश नहीं  रही कभी मुझे कि
तुझ संग ताज जाऊं
अरमां तो ये है हमेशा रहे मेरे कि
तुझ संग प्रेम मंदिर  जाऊं...
ये भी नहीं की तुझसे कहीं तुझे बंद कमरे में मिलूं
बस किहीं मंदिर की सीढ़ियों पे तुझ संग बैठूं..
ये भी नहीं की तेरी गलियों में आवारगी करूं
बस तेरे कदम से कदम मिला कहीं परिक्रमा करूं,
बस तेरी मांग भरने से, तेरी हर मांग सर आंखों पर रखूं
तुम मेरे जीवन का रिक्त स्थान भरना
मैं तेरे जीवन का खालीपन भरूं

©सलग आना
  #khavahishe