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मुझे मेरे सफर से बड़ी चाहत हो गई है अब मुश्किलों स

मुझे मेरे सफर से बड़ी चाहत हो गई है
अब मुश्किलों से भी मोहब्बत हो गई है

जिंदगी से अभी मुझे कोई गिले शिकवे नहीं रहे 
आईने में देखकर मुस्कुराना मेरी आदत हो गई है 

ए बारिशों का मौसम, अब अच्छा नहीं लगता 
बड़ी कमजोर घर की छत हो गई है

यूँ बाजार के तराने, स्वप्निल तुझे लिखने नहीं आते 
देख तेरे उसूलों की कितनी कम किमत हो गई है

- स्वप्निल माने
मुझे मेरे सफर से बड़ी चाहत हो गई है
अब मुश्किलों से भी मोहब्बत हो गई है

जिंदगी से अभी मुझे कोई गिले शिकवे नहीं रहे 
आईने में देखकर मुस्कुराना मेरी आदत हो गई है 

ए बारिशों का मौसम, अब अच्छा नहीं लगता 
बड़ी कमजोर घर की छत हो गई है

यूँ बाजार के तराने, स्वप्निल तुझे लिखने नहीं आते 
देख तेरे उसूलों की कितनी कम किमत हो गई है

- स्वप्निल माने
swapnilmane3881

Swapnil Mane

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