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क्या खूब रचा मायाजाल इंसान एक चेहरे अनेक जी रहे दो

क्या खूब रचा मायाजाल
इंसान एक चेहरे अनेक
जी रहे दोहरी भूमिका
पल में इंसान पल में शैतान

जी भरा जब इस दुनिया से
लगा मुखौटा, दूसरी ओर चलें

तोड़ते विश्वास अपनों का 
जैसे तोड़ दी मटकी माटी की
दिखावा निस्वार्थ प्रेम का,
 छलावा स्वार्थ का  🎀 Challenge-198 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
क्या खूब रचा मायाजाल
इंसान एक चेहरे अनेक
जी रहे दोहरी भूमिका
पल में इंसान पल में शैतान

जी भरा जब इस दुनिया से
लगा मुखौटा, दूसरी ओर चलें

तोड़ते विश्वास अपनों का 
जैसे तोड़ दी मटकी माटी की
दिखावा निस्वार्थ प्रेम का,
 छलावा स्वार्थ का  🎀 Challenge-198 #collabwithकोराकाग़ज़

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krishvj9297

Krish Vj

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