हवाओं में होकर तहलील तेरे ओर ही बढ़ती, मस्त मौला अंदाज लेकर अपना ही साज गुनगुनाती.. ना कोई फिक्र होता ना कोई डर होता गिरने का, थोड़ी अदा, थोड़ा अदब और थोड़ा आज लिए उड़ान भरती.. बादलों की गड़गड़ाहट सुन और तेज़ बहती, बारिश की बूंदों से मिलन के लिए मिट्टियों की तड़प देखती जैसे ही कुछ बूंदें टपकती तेरे दीदार के लिए कुछ पल ठहर जाती.. पानी की फुहारों को खुद में समाना, ख़ुशनुमा फ़िज़ाओं का इतराना,मैं सब कुछ निहारती... हाँ! एक दिन तेरी जरूर होती, अगर मैं बारिश होती.. #बारिश #तड़प #तहलील #अदा #हवाएं #बादल