सितारे चुगने वाली उम्र फिसल रही है। कहीं बुझ न जाए दिया-ए-तलब मेरा ।। ©️✍️सतिन्दर ©कुछ लम्हें ज़िन्दगी के सितारे चुगने वाली उम्र फिसल रही है। कहीं बुझ न जाए दिया-ए-तलब मेरा ।। ©️✍️ सतिन्दर #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #satinder #सतिन्दर #नज़्म #poetry #shyari Sudha Tripathi prajjval awadhiya kriss.writes