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*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हू

*तस्वीर जम्मू कश्मीर की*

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत,
मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की,
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर,
पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, 
पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, 
मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत,
मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है  सैनिकों कि शहादत । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की*

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत,
मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की,
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर,
पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, 
पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, 
मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत,
मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है  सैनिकों कि शहादत । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
amitgupta9308

Amit Gupta

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