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यह रोग है क्या (अनुशीर्षक) ©Roopanjali singh parm

यह रोग है क्या
(अनुशीर्षक)

©Roopanjali singh parmar मैं उदास नहीं हूँ.. शायद परेशान भी नहीं हूँ.. बस कहीं भी मन नहीं लगता। खुद से बहुत ऊब गई हूँ।
रात होते ही अजीब सी वीरानी छा जाती है मुझ पर। रात में आए कुछ पुराने ख़्याल नींद को ही नहीं तोड़ते बल्कि धड़कनों को बढ़ा भी देते हैं। हाँथ काँपने लगते हैं और आँसू गालों पर लुढ़कने लगते हैं।
रोज़ सुबह बिस्तर से केवल यह सोचकर खुद को धकेल कर उठाती हूँ कि थोड़ी देर बाद फिर से वापस बिस्तर पर आऊंगी।
तुमने शायद गौर किया होगा कि तुमसे बात करते-करते अचानक खोने लगती हूँ और उदास हो जाती हूँ।
यह उदासी मुझमें नहीं है, मैं खुद एक उदासी हूँ।
सुनो, यह कोई रोग है क्या..?
..
मेरा कुछ भी करने का मन नहीं होता..
यह रोग है क्या
(अनुशीर्षक)

©Roopanjali singh parmar मैं उदास नहीं हूँ.. शायद परेशान भी नहीं हूँ.. बस कहीं भी मन नहीं लगता। खुद से बहुत ऊब गई हूँ।
रात होते ही अजीब सी वीरानी छा जाती है मुझ पर। रात में आए कुछ पुराने ख़्याल नींद को ही नहीं तोड़ते बल्कि धड़कनों को बढ़ा भी देते हैं। हाँथ काँपने लगते हैं और आँसू गालों पर लुढ़कने लगते हैं।
रोज़ सुबह बिस्तर से केवल यह सोचकर खुद को धकेल कर उठाती हूँ कि थोड़ी देर बाद फिर से वापस बिस्तर पर आऊंगी।
तुमने शायद गौर किया होगा कि तुमसे बात करते-करते अचानक खोने लगती हूँ और उदास हो जाती हूँ।
यह उदासी मुझमें नहीं है, मैं खुद एक उदासी हूँ।
सुनो, यह कोई रोग है क्या..?
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मेरा कुछ भी करने का मन नहीं होता..