*स्वयं का भाग्य निर्माता* कर्म कलम से जो खींचता स्वयं अपने भाग्य की रेखा भाग्यशाली वही है जिसने सबको रूहानी दृष्टि से देखा अपनी कर्मेन्द्रियों पर जिसने रख लिया हो पूरा नियन्त्रण वही कर पाता है दुनिया में अपने श्रेष्ठ चरित्र का चित्रण लगाकर अपनी सारी शक्ति जो खुद को पूरा बदलता उसके लिए ही जीवन में भाग्य का सूरज निकलता मन वाणी और कर्मों पर जो रखता है पूरा संयम वही रख पाता है जग में दैवी मर्यादाओं को कायम उसके पुरुषार्थ के पथ पर कोई विघ्न नहीं रुक पाता स्वयं को वही बनाता है अपने भाग्य का निर्माता *ॐ शांति*