वक़्त यूँ भी कुछ अब नुमाया करे, गीत मेरे भी वो गुनगुनाया करे।। मै मुकर्रर रहूँ इस क़दर दरबदर, हाल दिल का मुझे ही सुनाया करे।। वो बदन हो भले ही ढँका क्यूँ न पूरा, बस हया से वो पलकें झुकाया करे।। मैं तरन्नुम, रदीफत में उलझा रहूँ, वो बस मुझे देखकर मुस्कुराया करे।। हाल रब भी दुरुस्त ही बख्शे यकीनन, जो माँ बाप के पास जाया करे।। हाथ थामो सभी का खुशी से ए-अविरल, जो भले क्यूँ न तुमको पराया करे।। ए गुज़रते कैलेंडर क्या कभी ऐसा होगा? फिर से बाबा वो कहानी सुनाया करें।। सुना है वो नींदें उड़ाता है सबकी, कहना मेरे भी ख्वाबों में आया करे।। #आशुतोष_अविरल #आशुतोष #अविरल #हिंदी