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ये दिन भी धीरे-धीरे यूँ ही गुज़र रहा है, देखो तो स

ये दिन भी धीरे-धीरे यूँ ही गुज़र रहा है,
देखो तो सूरज भी अपने रथ से उतर रहा है.
ओ बंजारे ! तू अब तक गलियों मे विचर रहा है,
पाँव तेरा काँटों के पथ पर सिहर रहा है.
अब तो चौराहे पर अंधेरे का आँचल पसर रहा है,
अपनी मंजिल से दूर तू किधर खड़ा है!
तेरा रास्ता रोकने को ,हर मोड़ पर खंजर पड़ा है.
तू सोच तेरा ख्वाब क्युँ अब तक बंजर पड़ा है!
किस बात का तुझको अब तक डर लगा है!
तेरा हाथ पकड़ जब आत्मविश्वास निडर खड़ा है. #Nojoto #ritashapoems #mypoetry #mylines
ये दिन भी धीरे-धीरे यूँ ही गुज़र रहा है,
देखो तो सूरज भी अपने रथ से उतर रहा है.
ओ बंजारे ! तू अब तक गलियों मे विचर रहा है,
पाँव तेरा काँटों के पथ पर सिहर रहा है.
अब तो चौराहे पर अंधेरे का आँचल पसर रहा है,
अपनी मंजिल से दूर तू किधर खड़ा है!
तेरा रास्ता रोकने को ,हर मोड़ पर खंजर पड़ा है.
तू सोच तेरा ख्वाब क्युँ अब तक बंजर पड़ा है!
किस बात का तुझको अब तक डर लगा है!
तेरा हाथ पकड़ जब आत्मविश्वास निडर खड़ा है. #Nojoto #ritashapoems #mypoetry #mylines