कोई समझा नहीं दिल के जज्बातों को, यह कुफ्र-ए-कलयुग है भाई, हम भी कहां दिल्लगी कर बैठे। भेजने का समय आज रात 11 बजे तक परिणाम की घोषणा कल दोपहर 1 बजे। सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें