8 जून की रात की बात का छोटा वर्णन मेरी जिंदगी की कुछ अनकही अनसुनी और कुछ अधूरी सी बात। शायद वही थी मेरी जिंदगी की सबसे डरावनी रात। सब कुछ उजड़ा उजड़ा सा लग रहा था, पता नही क्यू। सब कुछ बिछड़ा बिछड़ा सा लग रहा था, पता नही क्यू। अपनों से हुई थी बात भीगती आँखों और दबी आवाज के साथ। उसने भी की थी बात जिसने बिना मतलब कभी नही किया याद। आंशू ही बहे थे पूरी रात फिर भी करनी पड़ी लोगो से हसते हुए बात। शायद, नहीँ वही थी मेरी जिंदगी की सबसे डरावनी रात। (सुगम सिंह) #kavita #poem #shayari #poetry #story