###A POETRY DEDICATED TO OUR PARENTS.....### रोते हुए आई तो हमें हसना सिखाया... लुढ़कती हुई चलती थी तो हमें दौरना सिखाया .. जुबां का पहला अक्षर बोलना सिखाया तो उन छोटी छोटी उंगलियों के बीच पेंसिल पकड़ना भी सिखाया । सही गलत का पहचान करना सिखाया तो अच्छाई के लिए और बुराई के ख़िलाफ़ करना भी सिखाया... छोटो को प्यार देना सिखाया तो बरो को सम्मान देना भी सिखाया... रिश्तों का मतलब भी बहुत बारीकी से समझाया। गलतियों में डाटा तो अच्छे कामों के लिए शाब्बाशी भी उन्होंने ही दिया... उलझनों को सुलझाना सिखाया तो गलतियों को सुधारना भी सिखाया। मै तहे दिल से शुक्रिया करती हूं उनका, जिन्होंने मुझे हसना ,बोलना और चलना सिखाया।।। for my parents.... thank you for everything....