"परिक्षा का डर" 👇 ' परीक्षा का डर' परीक्षा इस ऐसा डर है जिसे हर व्यक्ति डर जाता है इसमें ना ताकत है ,ना विश्वास ,ना खुशी इसमें बस एक ऐसा एहसास होता है जिसे हम शायद किसी को कभी नहीं कह पाते पर अंदर ही अंदर हमें वह डर सताता है ।हम अपने दोस्तों से कहते जरूर है मुझे सब आता है या कुछ बचा है पर जो डर दिल में है ना शायद नहीं कर पाते । "परीक्षा का कक्ष था शांत सा माहौल था मेरी एक आदत कोरे पन्ने को देख लिखने का बहुत मन था।" लिख पड़ी मैं उस परिक्षा पर जिसमें मैं शिक्षिका थी मेरे बच्चों की परीक्षा थी।वह चुपचाप लिख रहे परीक्षा में खोयें थे अपने प्रश्र और उत्तर में लड़ते कागज और पेन की लड़ाई मैं उन्हें उसी रूप में देख ये अनुभव करती क्या गुजर रही होगी इनकी लाइफ पर शायद मैं वो अनुभव ना कर सकूं पर कुछ तो अनुभव मेरे भी थे ...... "परीक्षा का मोड़ था शांत माहौल था चल रही परीक्षा ,पेन और पन्नों में जंग था "।