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खिलने को तैयार नहीं थी तुलसी भी जिनके आंगन में मैं

खिलने को तैयार नहीं थी तुलसी
भी जिनके आंगन में मैंने भर-भर
 दिए सितारे उनके मटमैले दामन 
में पीड़ा के संग रास रचाया आंख 
भरी तो झूम के गाया जैसे मैं जी
लिया किसी से क्या इस तरह 
जिया जाएगा... -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
खिलने को तैयार नहीं थी तुलसी
भी जिनके आंगन में मैंने भर-भर
 दिए सितारे उनके मटमैले दामन 
में पीड़ा के संग रास रचाया आंख 
भरी तो झूम के गाया जैसे मैं जी
लिया किसी से क्या इस तरह 
जिया जाएगा... -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
vedprakash5339

VED PRAKASH 73

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