मेरी लेखनी (चिंतन) **************** लेखनी मेरी राह ढूंढ रही थी, मिल नहीं रहा था कोई सहारा, दिल की भाव को लिखना चाहू, पर कहाँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, yq इस पगली को राह दिखाई, मेरी लिखावट को एक दिशा मिली, कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनके शब्द नहीं होते, अपनी लेखनी के जरीए हम उनको बयां कर पाते हैं, कृपा अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇👇👇 मेरी लेखनी (चिंतन) **************** लिखनी मेरी राह ढूंढ रही थी, मिल नहीं रहा था कोई सहारा, दिल की भाव को लिखना चाहू, पर कहाँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, yq इस पगली को राह दिखाई, मेरी लिखावट को एक दिशा मिली,