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लबों पर दिन पिघलता है जब आँखों में स्याह रात होती

लबों पर दिन पिघलता है जब आँखों में स्याह रात होती है

ख़्वाबों में ही सही उस दिलबर से हमारी रोज़ बात होती है

माना मिरे पैरहन की खुशबू में बसे हैं हज़ारों कस्तूरी मृग

मगर उसकी निग़ाहों की तो कुछ और ही बात होती है।

©Arpan@
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