Nojoto: Largest Storytelling Platform

चंचलता और किलकारियों में जो गुज़रता थ

चंचलता   और    किलकारियों    में   जो   गुज़रता   था बचपन
आज    मुफ़्लिसी   की   फटी   चादर  से  झाँक  रहा  है बचपन
यहाँ   शोख़ियाँ   तो   हैं  पर   हसरतों   पर  ताला  लगा  हुआ है
'सफ़र' लापता है और मंज़िल की तलाश में है ख़ामोश बचपन समय सीमा : 21.01.2021
                  9:00 pm
पंक्ति सीमा : 4
 
काव्य-ॲंजुरी में आपका स्वागत है।

आइए,
मिलकर कुछ नया लिखते हैं,
चंचलता   और    किलकारियों    में   जो   गुज़रता   था बचपन
आज    मुफ़्लिसी   की   फटी   चादर  से  झाँक  रहा  है बचपन
यहाँ   शोख़ियाँ   तो   हैं  पर   हसरतों   पर  ताला  लगा  हुआ है
'सफ़र' लापता है और मंज़िल की तलाश में है ख़ामोश बचपन समय सीमा : 21.01.2021
                  9:00 pm
पंक्ति सीमा : 4
 
काव्य-ॲंजुरी में आपका स्वागत है।

आइए,
मिलकर कुछ नया लिखते हैं,