धर्म क्या है? संप्रदाय से है पृथक भौतिकता से है परे। वह धर्म है। असीमित होकर भी सीमा निर्धारित करे। वह धर्म है। अपने नियम,विचारों से ज्ञान को संचित करे। वह धर्म है। ईश्वर की भी महिमा को कर्मों की तुला पर धरे। वह धर्म है। श्रेष्ठता को प्राप्त करके ज्ञान का सुमिरन करे। वह धर्म है। निज भाषा, निज धर्म का जो निरंतर गायन करे। वह धर्म है। वह धर्म है। #Dharma