अचैतन्य अवस्था ही तो थी, कि सबने कहा और मैंने माना... हाँ होती है कोई अदृश्य शक्ति, किन्तु अब हे हृषिकेश! अनुभव किया है आपको और आपके सभी अनुग्रहों को, नही कहती अब कि शक्ति है कोई, अब कह देती हूँ मुस्कुराकर... अपना है कोई!☺️ "ओ रंगरेज़... गहराता जाये यह रंग, कर दे बस इतना कर्म!!" अचैतन्य अवस्था ही तो थी, कि सबने कहा और मैंने माना... हाँ होती है कोई अदृश्य शक्ति, किन्तु अब हे हृषिकेश! अनुभव किया है आपको और आपके सभी अनुग्रहों को, नही कहती अब कि शक्ति है कोई, अब कह देती हूँ मुस्कुराकर...