पिता! तुझसे जुड़ा है बचपन की यादों का एक बड़ा ज़ख़ीरा तुम शामिल हो मेरी ज़िन्दगी के क़िस्से-कहानियों में ज़िन्दा हैं सारी उम्मीदें तुझसे तूने सोचने के तरीक़े में भर दी है ताज़गी सर चढ़कर बोलता है तेरे वजूद का जादू तेरे जज़्बे से गुलज़ार घर का कोना-गोशा # पिता! तेरे वजूद का जादू घर के कोने-गोशे में है