"मां के झुमकों का प्रतिउत्तर" १२ दिसंबर २०२० प्रिय सत्यभामा, जान कर खुशी हुई कि आज भी हम तुम्हें याद हूं। मुझे भी वो दिन अच्छे से याद है, जब तुम्हारे पति हमें लेने हमारे घर आए थे। हमें डर था पता नहीं हमें किसको सौंपा जाएगा? हमारा नया घर कैसा होगा? क्या हमारी देखभाल होगी या नहीं? किन्तु जब तुमने हमें पहली बार देखा, तुम्हारा चेहरा इतना चमक गया था कि उसकी चमक से हमारी चमक भी फीकी पड़ गई थी। तुमने हमें बहुत प्यार से रखा और हमने भी तो हर अवसर पर तुम्हारा मान बढ़ाया है। अब जैसे तुमने बताया कि तुम हमें अपनी बेटी को सौंपना चाहती हो, तो इसमें हमें तुमसे भी ज़्यादा खुशी होगी। हमें बिल्कुल बुरा नहीं लगा बल्कि तुम्हें एक बात बताऊं? ये बात अबतक हमारे और तुम्हारी बेटी के बीच का राज़ थी। जब भी तुम कहीं बाहर जाती थी तो वो हमें निकल कर पहन पहन कर देखती और खूब खुश होती थी। अब जब तुम हमें उस दे रही हो तो हमें तुमसे कोई गिला शिकवा नहीं है। हम तो खुश हैं कि हम नई पीढ़ी की भी पसंद हैं। हम भी तुम्हें यकीन दिलाते हैं कि हमेशा उसका भी शोभा बढ़ाएंगे। आशा है ये कार्य जल्द ही सम्पन्न हो। तब तक अपना ख्याल रखना। तुम्हें और तुम्हारी बेटी को ढेर सारा स्नेह। तुम्हारे प्रिय झुमके। "मां के झुमकों का प्रतिउत्तर" १२ दिसंबर २०२० प्रिय सत्यभामा, जान कर खुशी हुई कि आज भी हम तुम्हें याद हूं। मुझे भी वो दिन अच्छे से याद है, जब तुम्हारे पति हमें लेने हमारे घर आए थे। हमें डर था पता नहीं हमें किसको सौंपा जाएगा? हमारा नया घर कैसा होगा? क्या हमारी देखभाल होगी या नहीं? किन्तु जब तुमने हमें पहली बार देखा, तुम्हारा चेहरा इतना चमक गया था कि उसकी चमक से हमारी चमक भी फीकी पड़ गई थी। तुमने हमें बहुत प्यार से रखा और हमने भी तो हर अवसर पर तुम्हारा मान बढ़ाया है। अब जैसे तुमने बताया कि तुम हम