सोचती हूँ मैं कभी-कभी जिंदगी मिले कहीं कभी तो कुछ प्रश्न पूछ ही लूँ मैं उससे उत्तर देखूँ क्या देती है वो मुझे जैसे उलझा रही वो मुझको थोड़ा-सा उलझा दूँ मैं उसको जिस रास्ते से वो बेचिंता गुज़रे वो रास्ता बंद कर दूँ मैं अचानक नयी राह ज्यों ही पकड़े वो अपनी छीन लूँ सारे संगी-साथी उससे मैं योजना-पुलिंदा करे वो जो तैयार आधार को ही बदल दूँ में झटके से जब भी सोने चले बेचिंता होकर नया सवाल दिमाग में भर दूँ उसके नाचे जब वो मस्तमौला बनकर आँगन को उसके टेढ़ा कर दूँ मैं गिरे अचानक ज़ोर से जैसे ही वैसे ही सवाल दाग दूँ उस पर मैं बता जिंदगी कैसा लगता है तुझे खुश होकर भी खुश ना हो पाना नींद में होकर भी रातों ना सो पाना पग-पग पर राह बदलते चले जाना कठिन समय में अपनों का रूठ जाना बता जिंदगी कैसा लगता है तुझको ज़िंदा होकर भी ज़िंदा-सा ना रह पाना! मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈🌈🌈 ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ मैं... #ज़िन्दगीमिले #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi