मुसाफीर था अपनो की तलाश का, अब मुसाफीर हुँ खुद की तलाश का। मुसाफीर था प्यार की तलाश का अब हुँ खुद में प्यार की तलाश का । मुसाफीर था अच्छाई की तलाश का अब हुँ खुद में अच्छाई की तलाश का। मुसाफीर था पैसो की तलाश का, अब हुँ रिश्तो की तलाश का। मुसाफीर था मैं भटका हुआ, अब मुसाफीर हुँ सही राह का।। ©Nidhi Gusai #DarkCity #poatry #poem #hindi_poetry #hindiwriters #hindiwriting #writingcommunity #written_by_me