इस समय आप सभी बच्चों को दो तख्त मिलते हैं - एक अकाल तख्त, दूसरा दिल तख्त। लेकिन तख्त पर वही बैठता है जिसका राज्य होता है। जब अकाल तख्तनशीन हैं तो स्वराज्य अधिकारी हैं और बाप के दिल तख्तनशीन हैं तो बाप के वर्से के अधिकारी हैं, जिसमें राज्य भाग्य सब आ जाता है। कर्मयोगी अर्थात् दोनों तख्तनशीन। ऐसी तख्तनशीन आत्मा का हर कर्म श्रेष्ठ होता है क्योंकि सब कर्मेन्द्रियां लॉ और ऑर्डर पर रहती हैं। #gif