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सभी मित्रों को प्रणाम,उनके माता को प्रणाम 🙏 जय श्

सभी मित्रों को प्रणाम,उनके माता को प्रणाम 🙏
जय श्री राम, जय जय परशुराम
🔻
 #drjyotishwrites #mothersdayspecial
(Read captions for MaakiGyaan Series)
Today I am gonna write a couples of post on the occasion of Mothers Day, You will really 💗 like it for sure, Just keep Updated by pressing the 🔔BELL ICON and Always check my captions for 🌹

🤱#MaakiGyaan series'👩‍👩‍👧‍👧
#भाग_एक #Part_1
'माँ' यह वो अलौकिक शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही रोम−रोम पुलकित हो उठता है, हृदय में भावनाओं का अनहद ज्वार स्वतः उमड़ पड़ता है और मनो मस्तिष्क स्मृतियों के अथाह समुद्र में डूब जाता है। 'माँ' वो अमोघ मंत्र है, जिसके उच्चारण मात्र से ही हर पीड़ा का नाश हो जाता है। 'माँ' की ममता और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। नौ महीने तक गर्भ में रखना, प्रसव पीड़ा झेलना, स्तनपान करवाना, रात−रात भर बच्चे के लिए जागना, खुद गीले में रहकर बच्चे को सूखे में रखना, मीठी−मीठी लोरियां सुनाना, ममता के आंचल में छुपाए रखना, तोतली जुबान में संवाद व अठखेलियां करना, पुलकित हो उठना, ऊंगली पकड़कर चलना सिखाना, प्यार से डांटना−फटकारना, रूठना−मनाना, दूध−दही−मक्खन का लाड़−लड़ाकर खिलाना−पिलाना, बच्चे के लिए अच्छे−अच्छे सपने बुनना, बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी चुनौती का डटकर सामना करना और बड़े होने पर भी वही मासूमियत और कोमलता भरा व्यवहार.....ये सब ही तो हर 'माँ' की मूल पहचान है। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की 'माँ' की यही मूल पहचान है।
सभी मित्रों को प्रणाम,उनके माता को प्रणाम 🙏
जय श्री राम, जय जय परशुराम
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Today I am gonna write a couples of post on the occasion of Mothers Day, You will really 💗 like it for sure, Just keep Updated by pressing the 🔔BELL ICON and Always check my captions for 🌹

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#भाग_एक #Part_1
'माँ' यह वो अलौकिक शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही रोम−रोम पुलकित हो उठता है, हृदय में भावनाओं का अनहद ज्वार स्वतः उमड़ पड़ता है और मनो मस्तिष्क स्मृतियों के अथाह समुद्र में डूब जाता है। 'माँ' वो अमोघ मंत्र है, जिसके उच्चारण मात्र से ही हर पीड़ा का नाश हो जाता है। 'माँ' की ममता और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। नौ महीने तक गर्भ में रखना, प्रसव पीड़ा झेलना, स्तनपान करवाना, रात−रात भर बच्चे के लिए जागना, खुद गीले में रहकर बच्चे को सूखे में रखना, मीठी−मीठी लोरियां सुनाना, ममता के आंचल में छुपाए रखना, तोतली जुबान में संवाद व अठखेलियां करना, पुलकित हो उठना, ऊंगली पकड़कर चलना सिखाना, प्यार से डांटना−फटकारना, रूठना−मनाना, दूध−दही−मक्खन का लाड़−लड़ाकर खिलाना−पिलाना, बच्चे के लिए अच्छे−अच्छे सपने बुनना, बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी चुनौती का डटकर सामना करना और बड़े होने पर भी वही मासूमियत और कोमलता भरा व्यवहार.....ये सब ही तो हर 'माँ' की मूल पहचान है। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की 'माँ' की यही मूल पहचान है।
jyotishjha3582

Jyotish Jha

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