Nojoto: Largest Storytelling Platform

थे तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था, हम दोनों

थे तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था, हम दोनों के बीच वो पिचकारी से एक दूसरे को भिगोने का जंग था ,     वो तुम्हारा सलवार सूट वाला ढंग था , हमारे नजदीकियों से वो जल रहा जमाना कोई बदरंग था ,  थे तुम, पिछले होली तो रंग था, उमंग था ।                                                                                                           जो गिरे मिले थे मुझे तुम्हारे वो पायल , उस पायल में होली के अगले दिन भी वही झनकार था, और अगले दिन भी तुम्हारी कलाईयों में मेरे लगाए रंगों के निशां थे , अगले दिन भी मुझसे नज़रें मिलाने को तुम्हारा हाल कुछ बेहाल था ,  मुझे अब भी याद है तुम्हारे,   वो वॉटर बलून से रंगे तुम्हारे वो हाथ ,   वो  गुलाल से रंगे तुम्हारे वो गाल , वो हवाओं में रंगों को बिखेरते तुम्हारे वो बिखरे हुए बाल ,  हां, थे  तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था ।                                                                          गीले , शिकवे थे जिन लोगों को मुझसे उन लोगों  के  बीच में मैं हुड़दंग था , वो तुम्हारी आंखों वाला भांग पीकर मैं ना जाने कहां मलंग था , थे तुम,  पिछले होली तो रंग था , उमंग था ।                                                                     मेरे ऊजले कुर्ते पे तुम्हारी वो काली जुल्फें रंगों में रंगीन होकर लिपटी हुई थी और मेरे काले बालों को भी तुमने  कुछ लाल , नीले, हरे ,रंगों में संवारा था और थे तुम पिछले होली तो मेरा उजला कुर्ता भी रंगीन था  ,   हाँ,  थे तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था, हम दोनों के बीच वो पिचकारी से एक दूसरे को भिगोने का जंग था ।                                                                                              ---- अभिषेक सौरभ #होली#_the_merchant_of_inside_feelings
थे तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था, हम दोनों के बीच वो पिचकारी से एक दूसरे को भिगोने का जंग था ,     वो तुम्हारा सलवार सूट वाला ढंग था , हमारे नजदीकियों से वो जल रहा जमाना कोई बदरंग था ,  थे तुम, पिछले होली तो रंग था, उमंग था ।                                                                                                           जो गिरे मिले थे मुझे तुम्हारे वो पायल , उस पायल में होली के अगले दिन भी वही झनकार था, और अगले दिन भी तुम्हारी कलाईयों में मेरे लगाए रंगों के निशां थे , अगले दिन भी मुझसे नज़रें मिलाने को तुम्हारा हाल कुछ बेहाल था ,  मुझे अब भी याद है तुम्हारे,   वो वॉटर बलून से रंगे तुम्हारे वो हाथ ,   वो  गुलाल से रंगे तुम्हारे वो गाल , वो हवाओं में रंगों को बिखेरते तुम्हारे वो बिखरे हुए बाल ,  हां, थे  तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था ।                                                                          गीले , शिकवे थे जिन लोगों को मुझसे उन लोगों  के  बीच में मैं हुड़दंग था , वो तुम्हारी आंखों वाला भांग पीकर मैं ना जाने कहां मलंग था , थे तुम,  पिछले होली तो रंग था , उमंग था ।                                                                     मेरे ऊजले कुर्ते पे तुम्हारी वो काली जुल्फें रंगों में रंगीन होकर लिपटी हुई थी और मेरे काले बालों को भी तुमने  कुछ लाल , नीले, हरे ,रंगों में संवारा था और थे तुम पिछले होली तो मेरा उजला कुर्ता भी रंगीन था  ,   हाँ,  थे तुम , पिछले होली तो रंग था , उमंग था, हम दोनों के बीच वो पिचकारी से एक दूसरे को भिगोने का जंग था ।                                                                                              ---- अभिषेक सौरभ #होली#_the_merchant_of_inside_feelings