मेरे मे हाथो सनम इश्क की लकीर नज़र आती है। तेरी मुहब्बत मे अब अपनी तक़दीर नज़र आती है। ये आलम है अब तो मेरी दास्तान-ए-मुहब्बत का। बारिश की बूंदो मे भी तेरी तस्वीर नज़र आती है। 💞💞💞💞 शादाब अहमद शादाब अहमद