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आंखे चकाचौंध थी जगमगाहट से खिलौनों के लिए ‌रोता था

आंखे चकाचौंध थी जगमगाहट से
खिलौनों के लिए ‌रोता था , ललचाता था
मां आंखों से ओझल क्या हुई 
भूला सब जगमगाहट और खिलौनों का लालच 
ना दिखते हैं खिलौने ना कोई लालच
अब सिर्फ मां को ढूंढती है निगाहें एकटक
अब है सिर्फ उसी के लिए करण रुदन ।। मां  #nojotohindi#nojotoquotes#thought#poetry#maan 

आंखे चकाचौंध थी जगमगाहट से
खिलौनों के लिए ‌रोता था ललचाता था
मां आंखों से ओझल क्या हुई 
भूला सब जगमगाहट और खिलौनों का लालच 
अब सिर्फ मां को ढूंढती है निगाहें एकटक
ना दिखते हैं खिलौने ना कोई लालच
आंखे चकाचौंध थी जगमगाहट से
खिलौनों के लिए ‌रोता था , ललचाता था
मां आंखों से ओझल क्या हुई 
भूला सब जगमगाहट और खिलौनों का लालच 
ना दिखते हैं खिलौने ना कोई लालच
अब सिर्फ मां को ढूंढती है निगाहें एकटक
अब है सिर्फ उसी के लिए करण रुदन ।। मां  #nojotohindi#nojotoquotes#thought#poetry#maan 

आंखे चकाचौंध थी जगमगाहट से
खिलौनों के लिए ‌रोता था ललचाता था
मां आंखों से ओझल क्या हुई 
भूला सब जगमगाहट और खिलौनों का लालच 
अब सिर्फ मां को ढूंढती है निगाहें एकटक
ना दिखते हैं खिलौने ना कोई लालच
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