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सुबह नैन खुलते मन जिसका चाहे दर्शन हो उन्हें ही क

सुबह नैन खुलते मन जिसका चाहे दर्शन हो 
उन्हें ही कहा गया है। प्रेम और धन - मन मंदिर 
दर्शन करते समय जो पास हो प्राथना में जिसका 
राम आभास हो वह है। प्रेम 

झगड कर भी जिनपर क्रोध ना आए।
सच में प्रेम का अर्थ वहीं कहलाए ।।

जिनके कंधे पर सीर रखते दुख मिट जाए।
ऐसा कंधा ही शत - प्रतिशत प्रेम बताए।।

खुद दुख में होकर भी मन जिसके लिए करे दुआ
प्रेम का इस भाषा में कहा गया है। खुदा

लाख भूलना चाहे लेकिन ना भुला पाए।
प्रेम का राज यही असलियत में कहलाए।।

घर के फोटो में मॉ - बाप के साथ 
उसके साथ फोटो हो ऐसा लगना ।।

वहीं सोच ही कहलाता  प्रेम का गहना ।
दूसरों की गलती बता कर डांटना
फिर एकांत में हसना , यही है।
प्रेम की धरना ।।

खुद के अलावा जिसे अपना शरीर 
समझा जाए ।।
वह दूसरा आत्मा ही प्रेम परिभाषा बताए।।

यह कविता की लाइन पढ़ते समय जिसकी
याद आए बस वही आपका प्रेम है।
❤️❤️✍🏻सिंह सौरभ✍🏻❤️❤️ #@Prem ka Arth@#
सुबह नैन खुलते मन जिसका चाहे दर्शन हो 
उन्हें ही कहा गया है। प्रेम और धन - मन मंदिर 
दर्शन करते समय जो पास हो प्राथना में जिसका 
राम आभास हो वह है। प्रेम 

झगड कर भी जिनपर क्रोध ना आए।
सच में प्रेम का अर्थ वहीं कहलाए ।।

जिनके कंधे पर सीर रखते दुख मिट जाए।
ऐसा कंधा ही शत - प्रतिशत प्रेम बताए।।

खुद दुख में होकर भी मन जिसके लिए करे दुआ
प्रेम का इस भाषा में कहा गया है। खुदा

लाख भूलना चाहे लेकिन ना भुला पाए।
प्रेम का राज यही असलियत में कहलाए।।

घर के फोटो में मॉ - बाप के साथ 
उसके साथ फोटो हो ऐसा लगना ।।

वहीं सोच ही कहलाता  प्रेम का गहना ।
दूसरों की गलती बता कर डांटना
फिर एकांत में हसना , यही है।
प्रेम की धरना ।।

खुद के अलावा जिसे अपना शरीर 
समझा जाए ।।
वह दूसरा आत्मा ही प्रेम परिभाषा बताए।।

यह कविता की लाइन पढ़ते समय जिसकी
याद आए बस वही आपका प्रेम है।
❤️❤️✍🏻सिंह सौरभ✍🏻❤️❤️ #@Prem ka Arth@#