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बिख़री यादें ज़हन में अक्सर उफानें मारे है छुअन से म

बिख़री यादें ज़हन में अक्सर उफानें मारे है
छुअन से महरूम,अब फ़क़त यादों के सहारे हैं

अब कौन सा नया दिलासा मैं अपने दिल को दूँ
दिल की होशियारी के आगे हर फ़साने हारे हैं

दिन उधेड़बुन में गुज़रा, रात आँसुओं में कटती
नज़रें अवाक मेरी हरपल, सन्नटों को निहारे है

शम-ए-मसर्रत की लौ बुझी तो बुझती चली गई
तारीकियों में जकड़ी रुदन, जाने किसे पुकारे है

फ़िराक़ में जी रहें, मुद्दत से मिलना भी न हुआ
ख़ाक छानता गली गली, बावरा मन विहारे है ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1034 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
बिख़री यादें ज़हन में अक्सर उफानें मारे है
छुअन से महरूम,अब फ़क़त यादों के सहारे हैं

अब कौन सा नया दिलासा मैं अपने दिल को दूँ
दिल की होशियारी के आगे हर फ़साने हारे हैं

दिन उधेड़बुन में गुज़रा, रात आँसुओं में कटती
नज़रें अवाक मेरी हरपल, सन्नटों को निहारे है

शम-ए-मसर्रत की लौ बुझी तो बुझती चली गई
तारीकियों में जकड़ी रुदन, जाने किसे पुकारे है

फ़िराक़ में जी रहें, मुद्दत से मिलना भी न हुआ
ख़ाक छानता गली गली, बावरा मन विहारे है ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1034 #collabwithकोराकाग़ज़

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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