वक्त आ गया है जवाब भी है हिसाब भी है अपनी सोच से भी ज्यादा बेहतर वक़्त की तलाश भी है में जिद्दी हूँ जरा सा, जो नहीं मिला उसे हासिल करने का पृथक् अंदाज़ भी है अपने काम से संबंधित सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का आस भी है तो कुछ कर गुजरने का साहस भी है इस वक़्त में सफल भी हु असफल भी हूँ एक पहेली हूँ कभी सुलझा हूँ कभी उलझा हूँ मैं ज्योतिष हूँ और प्रकाश भी हूँ तो कभी जगमगाता अँधेरा हूँ कल का टूटा हुआ तारा तो आज में एक नया सवेरा हूँ #drjyotishwrites #drjpoem मैं ज्योतिष हूँ और प्रकाश भी हूँ तो कभी जगमगाता अँधेरा हूँ कल का टूटा हुआ तारा तो आज में एक नया सवेरा हूँ ना किसी से कोई जलन ना किसी से कोई होड़. मेरी अपनी मंजिले मेरी अपनी है दौड़.