एक आसरा ना तय हुआ एक रास्ता ना शह हुआ बदहवासी में बौखलाए चल रहे दस दिशाओं में, एक वायदा ना सम हुआ एक कायदा ना कम हुआ बेतरतीबी में बुदबुदाते बिताए जा रहें हैं शामें, भीतर गले, कुछ धुआं हुआ बहुत जले, कुछ मिला हुआ मेहरबानियों में कुम्हलाते गिन-गिन पल गुनगुना रहें! एक आसरा ना तय हुआ एक रास्ता ना शह हुआ बदहवासी में बौखलाए चल रहे दस दिशाओं में, एक वायदा ना सम हुआ एक कायदा ना कम हुआ बेतरतीबी में बुदबुदाते