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ऐ खुदा, कैसे कर लूँ यक़ीन कि तू है? वो जा रहा, पर

ऐ खुदा, कैसे कर लूँ यक़ीन कि तू है?
वो जा रहा, पर तूने रोका तो नहीं,
वो रो रहा था, पर तूने हसाया
तो नहीं,
वो नफ़रत जब करने लगा था
मुझसे,
तो दो पल ही सही, मोहब्बत करने
की मोहलत तो देता तू उसे,
वो आया वापस, उठाया पलकों पे,
और फिर रौंद दिया कदमों के तले,
अब जान गई हूँ शायद, तू उसके
लिए तो है, पर मेरे लिए नहीं।

©shivanshu
  #बेदर्द