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तुम्हारी यादों के नग्मे में हर रोज लिखता हूं जमान

तुम्हारी यादों के नग्मे
 में हर रोज लिखता हूं
जमाना कुछ भी कहे मुझको
पर मैं खामोश रहता हूं
भले चाहत नहीं है तुमको
अपना बनाने की 
सदा यूं मुस्कुराओ दुआ
यही हर रोज करता हूं तुम्हारी याद आई
तुम्हारी यादों के नग्मे
 में हर रोज लिखता हूं
जमाना कुछ भी कहे मुझको
पर मैं खामोश रहता हूं
भले चाहत नहीं है तुमको
अपना बनाने की 
सदा यूं मुस्कुराओ दुआ
यही हर रोज करता हूं तुम्हारी याद आई