आने तो देते मुझे, आपकी हर बात का आदर मैं करती। मैं चिड़िया आपके आंगन की, सदा पिंजरे में ही बंद रहती। उड़ने भी गर देते मुझे, आपकी बताई हदों तक उड़ती। मैं पंछी बिन पंखो की, बस अपने घोंसले में ही पलती। ना गुड़िया मैं मांगती, ना प्यार आपका चाहती। मैं मिट्टी की गुड़िया बन, खुद ही को लाड़ लड़ाती। ख़बर न होती किसी को मेरी, कोई आहट भी ना करती। मैं पुरानी कुर्सी सी घर की, एक कोने में अनदेखी सी पड़ी रहती। दुनिया मेरी आपका घर होता, घर मेरा आपकी रसोई। मैं गुलाम आपके शासन की, सदा अपना सर नीचे ही रखती।। पहला कार्य :- जनहित जनवरी सामाजिक मुद्दा :- कन्या भ्रूण हत्या (10 पंक्ति की कविता) . . . Completed Task one *Janhit January* by Rest Zone♥ Mandatory Hashtag :- #rzjanhitjan #jashnerestzone #restzone My unique hashtag :- #mjzone