ना स्वर-शास्त्र री खामियां, ना व्याकरण री चूक अमृत सी मनभावन, आ बोली घणी अमूक सदाचार, सम्मान, अर प्रेम री निशाणी है हर एक हिवड़ा रे नेड़ी, म्हारी राजस्थानी है #rajasthani #marwar #vijayranveersingh #rajput