दिखावे की इस दुनिया से घिरा पड़ा हूं गिरा हूं धोखे खा कर फिर भी सीधा खड़ा हूं हो जायेगा सब पहले जैसा इसी भ्रम में मैं अड़ा हुं देख कर दुनिया के दोगले रंग मै अकेला ही चल पड़ा हूं ना मानूंगा हार,ना झुकूंगा कभी ये सोच कर अकेला ही निकल पड़ा हूं लेखक - गौरव नारायण वैष्णव ©gourav narayan vaishnav #hindi#hindi_poetry #ramdharisinghdinkar #HarivanshRaiBachchan #lekhakshakti