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तुम न खोलो आँखें, तब तलक ये भोर नहीं होती, दिन निक

तुम न खोलो आँखें, तब तलक ये भोर नहीं होती,
दिन निकलता है मगर, रौशनी  पुरजोर नहीं होती,
तेरे आने ने जिंदगी को एक दिशा दी है, प्रियतम!
तुमसे पहले जिंदगी जैसे पतंग की डोर नहीं होती।

©RAVI Kumar
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