ख्बाबों में आधी रात में मन में हिचकोले लेते शब्द कल्पना को यथार्थ समझते हुए अभिव्यक्ति का तड़का परोस जाते हैं,और दिल में किसी कोने में, कोई खिचड़ी पक ही जाती है... पर फीकी सी लगती है, तुम्हारी मुस्कुराहटों के घी के बिना... #खिचड़ी #ख्बाब #मुस्कुराहट #चलेआओतुम तुम सब एक बार फिर से.. बनायेंगे ,खिलायेगे खिचड़ी,डालेंगे ऊपर से घी फिर से.. अचार , पापड़,सलाद सब कुछ तुम बनाओगे, देखना एक बार फिर तुम सब गले लगकर रोकर जाओगे.. #yqdosti #yqfriend #tulikagarg