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जाहि छू के गुजरे पवन पुरवइया, उड़ जाएं मोरी धानी री

जाहि छू के गुजरे पवन पुरवइया,
उड़ जाएं मोरी धानी री चुनरिया,
तन मन भई सखी री बावरिया।

मोसे न पूछो, जियरा के हाल,
श्याम रंग पियवा के दरश से भई निहाल,
सखी मोहे सुध न रही तन मन की,
जोगी संग लागी सखी पिरितिया के ड़ोर री।
बिसरत न सुरतिया, मन भई चितचोर री,
चारौ पहरी सुध रही पियवा की,
विरहा की रतिया, निदिया न आवै मोहे,
नयना ताके सारी रात अंजोरिया री।

नयना ढूढे ल्य श्याम सावरिया,
पपीहा जैसे तरसे सावन की बरिसिया,
मनवा में आग जले जैसे जेठ के दुपहरिया,
शीतल छैया के तरसे बदनवा,
मन मोरी भई सखी री बावरिया।,
#प्रदीप सरगम# #Nojoto #AwadhiBhasha
#Hindi #PoetryOnline 

#LookingDeep  Pragati Jain Adv.Renu Saxena Vasudha Uttam Meghna kapoor(Rajput) Jass Bajwa 
Anshu writer
जाहि छू के गुजरे पवन पुरवइया,
उड़ जाएं मोरी धानी री चुनरिया,
तन मन भई सखी री बावरिया।

मोसे न पूछो, जियरा के हाल,
श्याम रंग पियवा के दरश से भई निहाल,
सखी मोहे सुध न रही तन मन की,
जोगी संग लागी सखी पिरितिया के ड़ोर री।
बिसरत न सुरतिया, मन भई चितचोर री,
चारौ पहरी सुध रही पियवा की,
विरहा की रतिया, निदिया न आवै मोहे,
नयना ताके सारी रात अंजोरिया री।

नयना ढूढे ल्य श्याम सावरिया,
पपीहा जैसे तरसे सावन की बरिसिया,
मनवा में आग जले जैसे जेठ के दुपहरिया,
शीतल छैया के तरसे बदनवा,
मन मोरी भई सखी री बावरिया।,
#प्रदीप सरगम# #Nojoto #AwadhiBhasha
#Hindi #PoetryOnline 

#LookingDeep  Pragati Jain Adv.Renu Saxena Vasudha Uttam Meghna kapoor(Rajput) Jass Bajwa 
Anshu writer