अनगढ़ मन अनगढ़ स्वर गढ़कर जीवन दर्शन दे जाते हैं प्रिय गुरूजनवृंद के सपने चंचल मुक्त कंठ ये गाते हैं जहां ज्ञान की निर्मल गंगा सृजकुल नित्य नहाते हैं हरिपद सम्मत सुधि चरणन में नित नित शीश नवाते हैं कुटिल पंथ की हर बाधा का सम्यक हल पा जाते हैं सदा रहे आशीष शीश पर सुमुख सुजन मनाते हैं बड़भागी अनुचर चित चेरे याद गुरु को आते हैं #toyou #yqgratitude #yqreverence #yqlove #yqsipiritual #yqourworld