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कवि से न पूछो कभी उसकी कविता का अर्थ। वह नहीं बता

कवि से न पूछो कभी
उसकी कविता का अर्थ। 
वह नहीं बता पायेगा  
किन भावों के जोड़ से बने कौन से शब्द !
कौनसी पीड़ा ने ली कैसी शक्ल?

किस पंक्ति में कौन सी शाम दबी हो ?
कौनसी चीख़ कब निकली हो  ?
याद नहीं कवि को अब । 

एक माँ से पूछोगे कि 
गर्भ में उसने जीवन कैसे बनाया,
तो क्या बतला पायेगी वह तुम्हें ? 

माँ ने बस ख़ून दिया अपना।
जान देकर निकाली जान ख़ुद में से। 

न जाने कितनी बार मरा कवि भी तो ,
कविता को जन्म देते देते...
मत पूछो उससे उसकी कविता की रासायनिक संरचना, 
नहीं बता पायेगा वह ....
उसने बस ख़ून दिया है  
जान देकर
 निकाली जान है ख़ुद में से।

©Meenakshi #सृजनात्मा 
#srijanaatma
कवि से न पूछो कभी
उसकी कविता का अर्थ। 
वह नहीं बता पायेगा  
किन भावों के जोड़ से बने कौन से शब्द !
कौनसी पीड़ा ने ली कैसी शक्ल?

किस पंक्ति में कौन सी शाम दबी हो ?
कौनसी चीख़ कब निकली हो  ?
याद नहीं कवि को अब । 

एक माँ से पूछोगे कि 
गर्भ में उसने जीवन कैसे बनाया,
तो क्या बतला पायेगी वह तुम्हें ? 

माँ ने बस ख़ून दिया अपना।
जान देकर निकाली जान ख़ुद में से। 

न जाने कितनी बार मरा कवि भी तो ,
कविता को जन्म देते देते...
मत पूछो उससे उसकी कविता की रासायनिक संरचना, 
नहीं बता पायेगा वह ....
उसने बस ख़ून दिया है  
जान देकर
 निकाली जान है ख़ुद में से।

©Meenakshi #सृजनात्मा 
#srijanaatma
meenakshi5694

Meenakshi

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