आदतों सी मेरी, आईने सी साफ है। मैला कोई कर दे अगर वो फिर भी पाक हैं। दुखौ को दबाकर भी , मुस्काती सी रहती है तु उड़ान है। न रूक कभी, तु होसलो सी लगती है। अडिग तेरे होंसले है कुछ अनछुए से किस्से हैं। तु नदि है उन सुखौ कि जो हमने तुझसे पायी है। शंकर समान गणेश,गौरा समान गौरा कि तु सुख कि सरिता है।। तु भाग्य है सुरेश का जो जीत सकें सम्पूर्ण जग को है।। कैसे माना तुने खुद को किसी से पिछे हैं कार्तिक समान किशन (बालकिशन) की तु तो प्रथम पुज्य है।। तु सरिता है उस रस कि जो सभी को प्रिय है। तु सरिता है उस रस कि जो सभी को प्रिय है।।