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दीपावली के मंगल पर्व, भगवान श्री राम जी के रावण व

दीपावली के मंगल पर्व, 
भगवान श्री राम जी के रावण वध 
के बाद अयोध्या पधारने पर कुछ पंक्तियां 

लौ (मुक्त छंद)
-------------------
मिटाना लाख चाहे लौ,
तिमिर मिलकर घटाओं संग,
लिए मेघों के पाशों में
किए गहरे भयानक रंग;
यह रश्मि सत्य की है 
जो बुझाने से नहीं बुझती;
ना रुकती है कभी रोके,
मिटाने से नहीं मिटती;
कहीं भी हो भभक कर
जल सदा आगे ही बढ़ती है:
यह सूरज,तेज की बंशज
है खलती हर अंधेरे को;
लिए पावक पताका हाथ
चढ़ती है, निखरती है;
रहा चिरकाल से संघर्ष है, 
आगे भी रहना है;
निशा, तमराज के संगी
किए बहुरूप आएंगेे;
है हो सकता क्षणिक आभास 
के अब कुछ नहीं बाकी;
मगर यह सत्य की लौ है, 
सदा से है, सदा ही है!
--------------------------
पंकज 'अंजान' सारस्वत

©Anjaan Saraswat #अंजानसारस्वत#कविता #दीपावली2020#
दीपावली के मंगल पर्व, 
भगवान श्री राम जी के रावण वध 
के बाद अयोध्या पधारने पर कुछ पंक्तियां 

लौ (मुक्त छंद)
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मिटाना लाख चाहे लौ,
तिमिर मिलकर घटाओं संग,
लिए मेघों के पाशों में
किए गहरे भयानक रंग;
यह रश्मि सत्य की है 
जो बुझाने से नहीं बुझती;
ना रुकती है कभी रोके,
मिटाने से नहीं मिटती;
कहीं भी हो भभक कर
जल सदा आगे ही बढ़ती है:
यह सूरज,तेज की बंशज
है खलती हर अंधेरे को;
लिए पावक पताका हाथ
चढ़ती है, निखरती है;
रहा चिरकाल से संघर्ष है, 
आगे भी रहना है;
निशा, तमराज के संगी
किए बहुरूप आएंगेे;
है हो सकता क्षणिक आभास 
के अब कुछ नहीं बाकी;
मगर यह सत्य की लौ है, 
सदा से है, सदा ही है!
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पंकज 'अंजान' सारस्वत

©Anjaan Saraswat #अंजानसारस्वत#कविता #दीपावली2020#