भटकते-भटकते मिले राम और लखन दोनों भाई, पूछे लखन से सब ठीक पर सीता को क्यों छोड़ आये, नहीं था वो कोई स्वर्ण मृग सब थी कोई राक्षसी माया, भाई मुझे लगता हैं सीते पर है कोई संकट का सायां, राम लखन अब जल्द से कुटिया की ओर जाना चाहे, पर ये क्या कुटिया में ढूंढने पर कहीं सीता को ना पाये, तालाब, नदी, बगीचा, झरना सब जगह तो देख आये, राम बस सीते-सीते पुकारे नैन व्याकुल देखना चाहे, राम लखन अब वन में ढूंढने जाये पर पता ना पाये, चलते-चलते सबरी की कुटी जाये प्रेम से जूठे बैर खाये, लखन कभी भक्त तो कभी प्रभु का भक्त से स्नेह देखे, फिर शबरी को मोक्ष दे राम लखन आगे बढ़ जाये, सिया को ढूंढते ढूंढते ऋष्यमूक पर्वत की ओर जाये, सुग्रीव, बाली का गुप्तचर हनुमान से कारण जानना चाहे, भेष बदले हनुमान पर जान राम प्रभु आँखों से नीर बहाये, फिर बैठा राम और लक्ष्मण को काँधे पर सुग्रीव के पास आये, राम किये मित्रता सुग्रीव से उनको न्याय अब दिलाना चाहे, सिया की चूड़ामणि जब राम पाये जिसे देख आँसू रोक ना पाये, रावण ले गया सीता को हर अब वानर सेना मिल करेगी युद्ध, अब सिया को खोजने में बाधा चार माह बीतने पर ही खोज पाये, कठिन कष्टदायी ये विरह जो हनुमान और लखन से हुआ सरल। ©Priya Gour जय श्री राम 😍💞 जय सियाराम💞❣️ #NojotoRamleela #Ram #12Oct 10:16 #nojotowriters #NojotoWriter