साकी तेरे दीवानों ने दर्द-ए-सर किया है, तुझे मैंने अपनी दुआओं का असर किया है। तुम तो इश्क के बागीचे के मालिक हो, मैंने तो एक गुलाब को अपना घर किया है। मेरी आँखों को तो दीदार भी न मिला, सुना है, तुमने अप्सरा जैसा शृंगार किया है। बदकिस्मत दिल है मेरा, तेरा हो के रहा, अश्कों से धोऊॅं, जो तुमने इसका हश्र किया है। तुम्हें देखने से पहले खेलता था खुशियों में, आज तुम्हें मिलने को, एक हँसी उधार किया है। 'भाग्य' इतने पर भी तुम्हें पा नहीं सकते, शायद अभी बाकि जो इश्क-ए-बुखार किया है।— % & ♥️ Challenge-828 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।