आँगन में भरी बाल्टी थी पड़ी चाँद की नज़र उसपर पड़ी, देख उसमे अपनी छवि ,वो घबराया क्या सच मे ,धरती पर ऐसा दिन आया? नदी ,तालाब क्या सब सूख गए? क्या,आ गए दिन सच मे इतने बुरे! नही ,नही वो चिल्लाया पास का बादल, मंद मंद मुस्काया बोला दूर नही वो दिन जब तू देखेगा ऐसे ही अपनी प्रतिबिम्ब...... अनुपमा झा #bucket#balti# save water poem#angan#pratibimb#chand #YoPoWriMo #YQbaba#YQdidi