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#OpenPoetry हवन की समिधा ! तुम्हारे प्रेम क्षुधा

#OpenPoetry हवन की समिधा !

तुम्हारे प्रेम क्षुधा से 
व्याकुल मेरा हृदय 
तृप्ति की चाह सिर्फ 
एक तुम से रखता है ;
 
मेरे मन में जबसे तुम 
हुई हो शामिल ये दिल 
जिद्द पर अड़ा है बनने 
को तुम्हारे हवन कुंड 
की समिधा है ;

जो हर एक आहुति के 
साथ धधक कर पूर्ण 
होना चाहता है सुनते 
ही स्वाहा ;

ताकि तुझमे मिलकर 
प्रेम की समिधा सा वो 
हो जाए पूर्ण और मेरे 
मन की व्याकुल क्षुधा 
को यज्ञ की पूर्णाहुति के 
साथ चीर शांति मिले ! ##हवन #की #समिधा
#OpenPoetry हवन की समिधा !

तुम्हारे प्रेम क्षुधा से 
व्याकुल मेरा हृदय 
तृप्ति की चाह सिर्फ 
एक तुम से रखता है ;
 
मेरे मन में जबसे तुम 
हुई हो शामिल ये दिल 
जिद्द पर अड़ा है बनने 
को तुम्हारे हवन कुंड 
की समिधा है ;

जो हर एक आहुति के 
साथ धधक कर पूर्ण 
होना चाहता है सुनते 
ही स्वाहा ;

ताकि तुझमे मिलकर 
प्रेम की समिधा सा वो 
हो जाए पूर्ण और मेरे 
मन की व्याकुल क्षुधा 
को यज्ञ की पूर्णाहुति के 
साथ चीर शांति मिले ! ##हवन #की #समिधा