अगर मुमकिन हुआ तो वापस लौट आऊँगी मैं, ये मत समझना कि क़स्में, वादे तोड़ गई वादो से पहले कांधो की ज़िम्मेदारी निभाऊँगी मैं ना करना नफरत, बेरुखी और बेवफ़ाई मुझसे दी वक़्त ने मोहलत तो वादा है, वापस लौट आऊँगी मैं रखना संभाल कर इन ख्वाबों को यादों के सन्दूक में, वादा है मेरा, ख्वाबों को हकी़कत में बदलने आऊँगी मैं है आज मुश्किल हिज्र तो, कल आसान वस्ल भी होगा, मगर याद रखना, ख्वाबों से भरा कल सजाने फिर वापस लौट आऊँगी मैं।। By. Afra Mahmood @ansariaysha630 #EMERGING_WRITERS ©sachin mehra #typewriter